इमाम बाड़े
मुसन्निफ़ - मौलाना ततहीर अहमद रज़वी बरेलवी
जहाँ ताज़िये को रखते हैं इस इमारत को इमाम बाड़ा कहते हैं, ये इमाम बाड़े बनाना और उनकी ताज़ीम करना ये सब राफ़ज़ी फ़िरके की देन है, इमाम बाड़े की कोई शरई हैसियत नहीं, उनकी ज़मीनें किसी बाल बच्चेदार बेघर ग़रीब मुसलमान को दे दी जाएं और उसका सवाब हज़रत इमाम आली मक़ाम की रूह पाक को ईसाल कर दिया जाए तो ये एक इस्लामी काम होगा, या वहां जरूरत हो तो मस्जिद बनादी जाए या मुसलमानों के लिए क़ब्रिस्तान या मुसाफ़िर खाना वगैरह जिससेक़ौम को नफ़अ पहुंचे तो निहायत उम्दा बात है।
आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां फ़ाज़िले बरेलवी अलैहिर्रहमा फरमाते हैं:-
"इमाम बाड़ा वक़्फ नहीं हो सकता वो जिसने बनाया वो उसी की मिल्क है जो चाहे करें वो न रहा तो उसके वारिसों की मिल्क है उन्हें इख्तियार है"
(फतावा रज़विया, जि.16, स.121)
(मुहर्रम मे क्या जाइज़ ?क्या नाजाइज़ ? 41)
Salam
ReplyDeleteMy name is Muhammad Afroz Attari and my calling, wattsaap number is 7017833070 aap mujhe mere ko ye book jarur jarur send frmayen
Muharram Main Kya jayez kya najaej